गंगा जी की आरती, Ganga Ji ki Aarti Lyrics image in hindi (01)
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।।
गंगा जी मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
गंगा स्नान करने से पहले इस मंत्र का करना चाहिए। इस मंत्र के द्वारा गंगा के साथ सभी नदियों को बुलाया जाता है।
ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा'।
यह गंगाजी का सबसे पवित्र पावन मंत्र है। इस मंत्र से गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें।
गंगा स्नान के नियम
- गंगा स्नान करते समय मां गंगा को प्रणाम करके गंगा में डुबकी लगाना चाहिए. शरीर का मैल रगड़कर गंगा में नहीं डालना चाहिए. न ही अपने कपड़ों को पवित्र गंगा में धोना चाहिए।
- गंगा स्नान करने से पहले सबसे पहले सूर्य देव और अपने इष्ट देव का ध्यान करें, फिर मां गंगा को प्रणाम करें और गंगा में हर हर गंगे बोलकर डुबकी लगाएं। आप चाहें तो गंगा मैया के मंत्र ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- गंगा आपके पापों को दूर करती है, इसलिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद कभी भी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए। स्वाभाविक रूप से शरीर को सूखने दें और वस्त्र धारण करें।
- अगर आप किसी कारण से गंगा स्नान के लिए घाट पर नहीं जा पा रहे हैं तो सामान्य जल में गंगा जल मिलाकर उसे पवित्र करें। मां गंगा का ध्यान करें और हर हर गंगे बोलकर स्नान करें। इसके बाद मां गंगा की घर पर ही स्तुति करें। इससे भी आपको गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होगा।
- गंगा स्नान के बाद मां गंगा का विधिवत पूजन करना चाहिए. उन्हें रोली, पुष्प, माला, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें और गंगा मंत्रों और स्तुति को पढ़ें। इसके बाद जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए।
- किसी भी तरह की गंदगी, प्लास्टिक, कूड़ा और कचरा गंगा नदी में न डालें। इससे गंगा मैली होती हैं और इसे मां गंगा का निरादर माना जाता है।
- जन्म सूतक या मृत्यु सूतक के समय भी पवित्र गंगा का स्नान किया जा सकता है। लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।
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