Mantra मंत्र जिन्हे पढ़ के कोई भी आसानी से पूजा करा सकता है

ॐ का महत्व 

प्राचीन मंत्रों की रचना भारत में वैदिक संस्कृति में की गई थी जो की "ॐ" एक मंत्र के रूप में कार्य करता है। मान्यता है की यह पृथ्वी की पहली आवाज है, हालही में NASA ने 22aug2022 को एक ट्वीट किया की NASA ने एक Blackhole की आवाज को कैप्चर किया है जो की "ॐ" ही है।
ॐ ध्वनि जब उत्पन्न होती है तो शरीर में एक प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है जिससे मन शांत करने में मदद मिलती है। मंत्र आध्यात्मिक तथा मधुरता का संगम होते है।
धार्मिक दृष्टि से मंत्र अपनी प्रार्थना को व्यक्त करने का साधन है। 
इतिहासकारों के अनुसार प्रम्भिक वैदिक काल के दौरान वैदिक कवि कविताओं छंदों और संगीत की प्रेरक शक्ति से मोहित हो गए थे जिसे उन्होंने मूल के साथ संदर्भित किया जो हिंदू धर्म में ध्यान के रूप में प्रस्तुत हुआ, इस प्रक्रिया को प्रस्तुत करने वाली भाषा एक मंत्र के रूप में प्रस्तुत हुई। मध्य वैदिक काल (१००० ई. पू. से ५०० ई. पू.) तक सभी मंत्र वैदिक रचनाओं से प्राप्त हुए। जैसे ऋग्वेद से ऋग (छंद), सामवेद से सामन (संगीत मंत्र), यजुर्वेद से यजुस।
हिंदू महाकाव्य काल के दौरान और उसके बाद मंत्र कई प्रकार से गुना किए गए और हिंदू धर्म के कई स्कूलों की जरूरत को पूरा करने के लिए विविध हुए लिंगपुराण में मंत्र को भगवान शिव के 1008 नामो में से एक रूप में सूचीबद्ध कर दिया गया।

जाप

मंत्र जाप एक ही मंत्र को एक शुभ संख्या में दोहराए जाने की प्रथा है जो की प्रायः (5/10/28/108) होती हैl जप एक व्यक्तिगत प्रार्थना, ध्यान के प्रयास, सामूहिक प्रार्थना के दौरान किया जाता है। मंत्रों को 108 मनकों और एक सिर के मनके की सहायता से भी किया जाता है, 108 पुनरावृत्तियों तक पहुँचने के बाद, यदि वह मंत्रों के एक और चक्र को जारी रखना चाहता है तो बिना सिर के मनके को पार किए माला को घुमा कर दोहरा सकते है।
हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को जप के लिए सबसे शुभ माना गया है, यह मन और आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है।

मंगलाचरण

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

गजननं भूतगणादिसेवितम, कपितथजम्बूफलचा जीवीरूभक्षणं।
उमासुत शोकविनाश्कारकम नमामि विध्नेश्वर पाद पंकजम।।

कर्पूरगौंर करुणावतार संसारसार भुजगेन्द्रहारम।
सदा वसंत हर्दियारविन्द, भव भवानीसहित नमामि।।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च संखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्व मम देव देव।।

लोकाभिराम रणरंगधीर, राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुप्यरूप करुणाकरत, श्री रामचन्द्र शरण प्रपधो।।

नीलाम्बुजश्यामल कोमलांग,सीतासमारोपितवामभागम।
पाणौ महासायकचारुचाप, नमामिरामं रघुवंशनाथम्।।

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र को सभी हिंदू मंत्रों में सबसे सार्वभौमिक माना जाता है, जो सार्वभौमिक ब्रह्म को ज्ञान के सिद्धांत और आदिकालीन सूर्य की रोशनी के रूप में लागू करता है। मंत्र ऋग्वेद की पुस्तक III में भजन 62 के 10 वें श्लोक से लिया गया है।

ॐ भूर्भुवस्व: |त्सवितुर्वरेण्यम् |भर्गो देवस्य धीमहि |धियो यो न: प्रचोदयात्।


पवमानः मंत्र

असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत रोगामृतं गमय असतो मा सद-गमय, तमसो मा ज्योतिर-गमय, मृत्योर्मामृतम गमय ।

शांति मंत्र

ॐ सहाना वावंतु 
सहनऊ भुनक्तु 
सहविर्य करवावाहै:
तेजस्वी नवधृतमस्तु:
माँ विद्विषावाहै:
शांति:, शांति:, शांति:।

अन्य महत्वपूर्ण मंत्र 

  • ॐ नमः शिवाय।
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
  • ॐ गं गणपतए नमः।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
  • ॐ ह्न हनुमते नमः ।
  • ॐ श्री ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।
  • ॐ ऐं ह्लीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः। 

देवो के नाम और उनके गायत्री मंत्र -

गणेश जी- ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नों दंती प्रचोदयात।।

ब्रह्मा जीॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि। तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्।।

विष्णु जी- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

शिव जी- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।

दक्षिणामूर्ति जी- ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि।तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।

हयग्रीव जी- ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।

दुर्गा जी- ॐ महादेवी च विद्महे, दुर्गाय च धीमही। तन्नो देवीः प्रचोदयात।।

सरस्वती जी- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।।

लक्ष्मी जी- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।

गौरी जी- ॐ सुभगायै च विद्महे, काममालिन्यै धीमहि।तन्नो गौरी प्रचोदया‍त्‌।।

गौरी जी- ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि। तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।

अन्नपूर्णा जी- ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि। तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात्।।

काली जी- ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि। तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।

नन्दिकेश्वर जी- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात्।।

गरुड़ जी- ॐ वैनतेयाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि। तन्नो गरुड: प्रचोदयात्।।

हनुमान जी- ॐ आंजनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्।।

शण्मुख जी-ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि। तन्नो शण्मुख प्रचोदयात्।।

अयप्पन जी- ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो शास्ता प्रचोदयात्।।

धनवन्तरी जी- ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि। तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात्।।

कृष्ण जी- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण प्रचोदयात्।।

राधा जी- ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्।।

राम जी- ॐ दशरथाय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि। तन्नो रामा: प्रचोदयात्।।

सीता जी-ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।

तुलसी जी- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

शंख-ॐ पांचजन्याय विद्‌महे पावमानाय धीमहि। तन्नो शंख: प्रचोदयात्‌।।

नृसिंह जी- ॐ वज्रनखाय विद्‌महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि । तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्‌।।

सूर्य जी- ॐ भास्काराय विद्‌महे महत्‌द्युतिकराय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्‌।।

लक्ष्मण जी- ॐ दाशरथाय विद्‌महे उर्मिलेशाय धीमहि। तन्नो लक्ष्मण: प्रचोदयात्‌।।

गोपाल जी- ॐ गोपीप्रियया विद्‌महे वासुदेवाय च धीमहि। तन्नो गोप: प्रचोदयात्‌।।

दत्त जी-ॐ दिगम्बराय विद्‌महे अवधूताय धीमहि। तन्नो दत्त: प्रचोदयात्‌।।

गुरु जी- ॐ जलबिंबाय विद्‌महे नीलपुरुषाय धीमहि । तन्नोऽम्बु प्रचोदयात्‌।।

अग्नि- ॐ महाज्वालाय विद्‌महे अग्निमयाय धीमहि। तन्नोऽग्नि: प्रचोदयात्‌।।

चन्द्र - ॐ क्षीरपुत्राय विद्‌महे अमृतत्वाय धीमहि। तन्नो्श्चन्द्र: प्रचोदयात्‌।।

गंगा जी- ॐ भागीरथ्यैच विद्‌महे विष्णुपद्यै च धीमही। तन्नो गंगा प्रचोदयात्‌।।

हंस- ॐ परमहंसाय विद्‌महे धीमहि महत्तत्वाय धीमहि। तन्नो हंस प्रचोदयात्‌।।

किसी भी पूजा के समाप्ति पर क्षमा मांगने का मंत्र।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव।


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