Chanakya niti



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चाणक्य नीति

चाणक्य नीति हिंदी में Chanakya niti in hindi

आचार्य चाणक्य का जीवन परिचय:- 


चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य की नीतियां जीवन के हर पड़ाव में सफलता दिलाने में मदद करती है चाहे आप बच्चे हो बूढ़े हो या जवान हो, इन्ही नीतियों की वजह से ही एक साधारण सा बालक चंद्रगुप्त महान चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य बन जाता है। ख़ासकर कई बिजनेस मैन, राजनीतिज्ञ आज भी इनका पालन करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है। महान आचार्य चाणक्य की नीतियां सत्रह अध्यायों का एक संगम है, तो चलिए शुरू करते है।

अध्याय क्र. 01


  1. मैं तीनो लोकों के स्वामी, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूँ | प्रभु को प्रणाम करने के बाद मैं अनेक शास्त्रों से जमा किये गए इस राजनितिक ज्ञान का वर्णन करूँगा ।। - चाणक्य नीति।
  2. समझदार पुरुष इस शास्त्र का अध्ययन करके यह समझ जायेगा की संसार में क्या करने योग्य है और क्या नहीं करना चाहिए, क्या पुण्य है और क्या पाप है तथा धर्म और अधर्म क्या है, यह ज्ञान इस ग्रन्थ से प्राप्त किया जा सकता है ।। - चाणक्य नीति
  3. अब मैं आपके सामने वह ज्ञान रखने जा रहा हूँ जिसे जानने से व्यक्ति विद्वान् बन जाता है , उसमे निर्णय लेने की क्षमता आ जाती है , वह ये बात समझ जाता है की क्या करना है और कब करना है ।। - चाणक्य नीति
  4. मूर्ख शिष्य को ज्ञान देना, दुष्ट स्त्री का पालन पोषण करना, धन का नष्ट होना तथा दुःखी व्यक्ति के साथ व्यव्हार रखने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट उठाना पड़ता है ।। - चाणक्य नीति
  5. बुरे स्वभाव वाली , कठोर और कड़वे वचन बोलने वाली , गलत आचरण वाली स्त्री , धोकेबाज मित्र , उल्टा जवाब देने वाला मुँहफट नौकर और ऐसे घर में निवास करने से जहा सांप होने की सम्भावना हो ये सब बातें मृत्यु के समान हैं ।। - चाणक्य नीति
  6. व्यक्ति को चाहिए की वह मुसीबत के समय के लिए धन बचा कर रखे और अगर स्त्री की रक्षा के लिए धन भी खर्च करना पड़े तो करदे, परन्तु स्त्री और धन से भी अधिक आवश्यक हैं की व्यक्ति सबसे पहले खुद की रक्षा करे ।। - चाणक्य नीति
  7. मुसीबत के लिए धन की रक्षा तो करनी ही चाहिए परन्तु धनि व्यक्ति को आपत्ति से क्या लेना देना वह तो सोचता हैं की धन से हर विपत्ति का सामना किया जा सकता हैं , परन्तु धनि व्यक्ति को यह सोचना चाहिए की लक्ष्मी का स्वभाव चंचल हैं वह कभी भी व्यक्ति को छोड़ कर जा सकती हैं ।। - चाणक्य नीति
  8. जिस देश में आदर सम्मान न हो और और आजीविका का कोई साधन नहीं हैं, जहा के लोगो में आपस में भाई बंधु जैसा सम्बन्ध न हो , और रिश्तेदार भी न हो तथा किसी प्रकार के गुणों और विद्या को प्राप्त करने की सम्भावना भी न हो, ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए , ऐसे स्थान पर रहना उचित नहीं हैं ।। - चाणक्य नीति
  9. जहा वेद को जानने वाला ब्राह्मण , धनि मानी व्यक्ति , राजा, नदी और चिकित्सक ये पांच चीज़े न हो , उस स्थान पर मनुष्य को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए ।। - चाणक्य नीति
  10. जहां जीवन को चलाने के लिए आजीविका का कोई साधन न हो, व्यापर आदि विकसित न हो , किसी प्रकार के दंड मिलने का भय न हो, लोगो में शर्म न हो, व्यक्तियों में अच्छा आचरण न हो, उदारता न हो अर्थात उनमे दान देने की आदत न हो, जहां ये पांच चीज़े न हो, वहा व्यक्ति को निवास नहीं करना चाहिए ।। - चाणक्य नीति
  11. अधिक कार्य करवाने पर नौकर चाकरों की , दुःख आने पर रिश्तेदारों की , कष्ट आने पर मित्रो की तथा धन का नाश होने पर अपनी पत्नी की परख का ज्ञान हो जाता हैं ।। - चाणक्य नीति
  12. किसी बीमारी के हो जाने पर , दुःख आने पर, अकाल पड़ने पर , शत्रु की तरफ से मुसीबत आने पर, राज सभा में, शमशान अथवा किसी की मृत्यु के समय जो व्यक्ति साथ नहीं छोड़ता, वास्तव में वही सच्चा बंधु माना जाता हैं ।। - चाणक्य नीति
  13. जो व्यक्ति निश्चित अर्थात जो हो सकता हैं इसे छोड़कर अनिश्चित जो नहीं हो सकता उसके पीछे भागता या समय बर्बाद करता हैं, वह असफल हो जाता हैं ।। - चाणक्य नीति
  14. बुद्धिमान व्यक्ति को अच्छे गुण वाली कुरूप कन्या से विवाह कर लेना चाहिए परन्तु उसे बुरे आचरण वाली सुन्दर कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए ।। - चाणक्य नीति
  15. बड़े बड़े नाखुनो वाले जानवरो , विशाल नदियों, बड़े बड़े सींग वाले आदि पशुओ, ऐसे लोग जिनके पास हतियार हो, राजा से समबन्धित कुल वाले व्यक्तियों इन सभी पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।। - चाणक्य नीति
  16. विष में अमृत हो तो भी उसे ग्रहण करे , अपवित्र और अशुद्ध वस्तुओ में भी यदि कोई कीमती सामान हो तो उठा ले, यदि नीच मनुष्य के पास कोई अच्छी विद्या, कला, गन हो तो भी सिख ले, इसी प्रकार अगर नीच कुल की कन्या अगर गुणी हो तो उसे ग्रहण करना चाहिए ।। - चाणक्य नीति
  17. आदमियों के मुकाबले औरतो का खाना दोगुना होता हैं, बुद्धि चार गुना, साहस छह गुना और कामवासना आठ गुना होती हैं ।। - चाणक्य नीति
अध्याय क्र. 02

  1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। - चाणक्य नीति
  2. भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना - ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। - चाणक्य नीति
  3. उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया : जिसका पुत्र आज्ञांकारी है, जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यव्हार करती है, जिसे अपने धन पर संतोष है। - चाणक्य नीति
  4. पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करे, मित्र वही है जिस पर आप विश्वास कर सकते हों और पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो। - चाणक्य नीति
  5. ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है। - चाणक्य नीति
  6. एक बुरे मित्र पर तो कभी विश्वास ना करे। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें। क्यूंकि यदि ऐसे लोग आपसे रुष्ट होते है तो आप के सभी राज से पर्दा खोल देंगे। - चाणक्य नीति
  7. मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें। - चाणक्य नीति
  8. मूर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है,लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा दुखदायी किसी दुसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है। - चाणक्य नीति
  9. हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह नहीं होते और हर वन मे चन्दन के वृक्ष भी नहीं होते हैं। - चाणक्य नीति
  10. बुद्धिमान पिता को अपने पुत्रों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है। - चाणक्य नीति
  11. जो माता व् पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु के सामान हैं। क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किये जाते हैं जैसे हंसो की सभा मे बगुले। - चाणक्य नीति
  12. लाड-प्यार से बच्चों मे गलत आदते ढलती है, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है, इसलिए बच्चों को जरुरत पड़ने पर दण्डित करें, ज्यादा लाड ना करें। - चाणक्य नीति
  13. ऐसा एक भी दिन नहीं जाना चाहिए जब आपने एक श्लोक, आधा श्लोक, चौथाई श्लोक, या श्लोक का केवल एक अक्षर नहीं सीखा, या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया। - चाणक्य नीति
  14. पत्नी का वियोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा - ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं। - चाणक्य नीति
  15. नदी के किनारे वाले वृक्ष, दुसरे व्यक्ति के घर मे जाने अथवा रहने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा - ये सब निश्चय ही शीघ्र नस्ट हो जाते हैं। - चाणक्य नीति
  16. एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बल उसकी दौलत मे है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता मे है। - चाणक्य नीति
  17. वेश्या को निर्धन व्यक्ति को त्याग देना चाहिए, प्रजा को पराजित राजा को त्याग देना चाहिए, पक्षियों को फलरहित वृक्ष त्याग देना चाहिए एवं अतिथियों को भोजन करने के पश्चात् मेजबान के घर से निकल देना चाहिए। - चाणक्य नीति
  18. ब्राह्मण दक्षिणा मिलने के पश्चात् आपने यजमानो को छोड़ देते है, विद्वान विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को छोड़ जाते हैं और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं। - चाणक्य नीति
  19. जो व्यक्ति दुराचारी, कुदृष्टि वाले, एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है, वह शीघ्र नष्ट हो जाता है। - चाणक्य नीति
  20. प्रेम और मित्रता बराबर वालों में अच्छी लगती है, राजा के यहाँ नौकरी करने वाले को ही सम्मान मिलता है, व्यवसायों में वाणिज्य सबसे अच्छा है, अवं उत्तम गुणों वाली स्त्री अपने घर में सुरक्षित रहती है। - चाणक्य नीति
अध्याय क्र. 03

  1. इस दुनिया मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है ? - चाणक्य नीति
  2. मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है. - चाणक्य नीति
  3. लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए. - चाणक्य नीति
  4. एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा . - चाणक्य नीति
  5. राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है. - चाणक्य नीति
  6. जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते. - चाणक्य नीति
  7. मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं,जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता है . - चाणक्य नीति
  8. रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है. - चाणक्य नीति
  9. कोयल की सुन्दरता उसके गायन मे है. एक स्त्री की सुन्दरता उसके अपने पिरवार के प्रति समर्पण मे है. एक बदसूरत आदमी की सुन्दरता उसके ज्ञान मे है तथा एक तपस्वी की सुन्दरता उसकी क्षमाशीलता मे है. - चाणक्य नीति
  10. कुल की रक्षा के लिए एक सदस्य का बिलदान दें,गाव की रक्षा के लिए एक कुल का बिलदान दें, देश की रक्षा के लिए एक गाव का बिलदान दें, आतमा की रक्षा के लिए देश का बिलदान दें. - चाणक्य नीति
  11. जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता, जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते, जो जागृत रहते है वो निर्भय होते है. - चाणक्य नीति
  12. आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए. - चाणक्य नीति
  13. शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कठिन है ? व्यापारिओं के लिए कौनसा जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई देश विदेश नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं. - चाणक्य नीति
  14. जिस तरह सारा वन केवल एक ही पुष्प अवं सुगंध भरे वृक्ष से महक जाता है उसी तरह एक ही गुणवान पुत्र पुरे कुल का नाम बढाता है. - चाणक्य नीति
  15. जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है. - चाणक्य नीति
  16. विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारन सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है. - चाणक्य नीति
  17. ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे. इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो पुरे घर को शांति और सहारा प्रदान करे. - चाणक्य नीति
  18. पांच साल तक पुत्र का लाड प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए. लेकिन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान वयवहार करे. - चाणक्य नीति
  19. वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो बताई गयी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए. १. भयावह आपदा. २. विदेशी आक्रमण. ३. भयंकर अकाल. ४. दुष्ट व्यक्ति का संग. - चाणक्य नीति
  20. जो व्यक्ति निम्नलिखित बाते अर्जित नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है. १. धमर २. अर्थ ३. काम ४. मोक्ष.- चाणक्य नीति
  21. धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ ... १. मूखो का सम्मान नहीं होता. २. अनाज का अच्छे से भण्डारण किया जाता है. ३. पति पत्नी आपस में गृह कलेश नहीं करते. - चाणक्य नीति
अध्याय क्र. 04

  1. निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है....१. व्यक्ति कितने साल जियेगा. २. वह किस प्रकार का काम करेगा. ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी. ४. उसकी मृत्यु कब होगी . - चाणक्य नीति
  2. पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है . - चाणक्य नीति
  3. जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही संतजन पुरुषों की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है. - चाणक्य नीति
  4. जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है. - चाणक्य नीति
  5. विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है. - चाणक्य नीति
  6. सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते. - चाणक्य नीति
  7. एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है. - चाणक्य नीति
  8. ये बाते व्यक्ति को आग के बिना जलती है ..१. असुरक्षित ठिकाना २. छोटे कुल के व्यक्ति के पास नौकरी करना, ३. अस्वास्थय्वर्धक भोजन, ४ गुस्सैल पत्नी, ५. मुर्ख पुत्र ६. विधवा पुत्री - चाणक्य नीति
  9. वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है. उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ. - चाणक्य नीति
  10. जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है उसे निम्नलिखित ही सहारा देते है... १. पुत्र और पुत्री २. पत्नी ३. भगवान् के भक्त. - चाणक्य नीति
  11. यह बाते एक बार ही होनी चाहिए.. १. राजा का बोलना. २. बिद्वान व्यक्ति का बोलना. ३. लड़की का ब्याहना. - चाणक्य नीति
  12. जब आप तप करते है तो अकेले करे. अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे. गायन करते है तो तीन लोग करे. कृषि चार लोग करे. युद्ध अनेक लोग मिलकर करे. - चाणक्य नीति
  13. वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है. - चाणक्य नीति
  14. जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं है उसका घर उजाड़ है. जिसे कोई सम्बन्धी नहीं है उसकी सभी दिशाए उजाड़ है. मुर्ख व्यक्ति का ह्रदय उजाड़ है. निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है. - चाणक्य नीति
  15. जिस अध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर है. जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है. निर्धन व्यक्ति के लिए लोगो का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना जहर है. - चाणक्य नीति
  16. जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो. - चाणक्य नीति
  17. सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है. यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है. यदि स्त्री उसके पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप में रखने से कपडे पुराने हो जाते है. - चाणक्य नीति
  18. इन बातो को बार बार गौर करे...सही समय, सही मित्र, सही ठिकाना, पैसे कमाने के सही साधन, पैसे खर्चा करने के सही तरीके, आपके उर्जा स्रोत. - चाणक्य नीति
  19. द्विज अग्नि में भगवान् देखते है. भक्तो के ह्रदय में परमात्मा का वास होता है. जो अल्प मति के लोग है वो मूर्ति में भगवान् देखते है. लेकिन जो व्यापक दृष्टी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान सर्व व्यापी है. - चाणक्य नीति
अध्याय क्र. 05

  1. ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए - चाणक्य नीति
  2. सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है - चाणक्य नीति
  3. यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए - चाणक्य नीति
  4. अनेक व्यक्ति जो एक ही गर्भ से पैदा हुए है या एक ही नक्षत्र में पैदा हुए है वे एकसे नहीं रहते. उसी प्रकार जैसे बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते - चाणक्य नीति
  5. वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता - चाणक्य नीति
  6. मूढ़ लोग बुद्धिमानो से इर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से इर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इर्ष्या करती है - चाणक्य नीति
  7. खाली बैठने से अभ्यास का नाश होता है. दुसरो को देखभाल करने के लिए देने से पैसा नष्ट होता है. गलत ढंग से बुवाई करने वाला किसान अपने बीजो का नाश करता है. यदि सेनापति नहीं है तो सेना का नाश होता है - चाणक्य नीति
  8. अर्जित विद्या अभ्यास से सुरक्षित रहती है, घर की इज्जत अच्छे व्यवहार से सुरक्षित रहती है, अच्छे गुणों से इज्जतदार आदमी को मान मिलता है, किसी भी व्यक्ति का गुस्सा उसकी आँखों में दिखता है - चाणक्य नीति
  9. धर्मं की रक्षा पैसे से होती है, ज्ञान की रक्षा जमकर आजमाने से होती है, राजा से रक्षा उसकी बात मानने से होती है, घर की रक्षा एक दक्ष गृहिणी से होती है - चाणक्य नीति
  10. जो वैदिक ज्ञान की निंदा करते है, शास्र्त सम्मत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है, शांतीपूर्ण स्वभाव के लोगो की मजाक उड़ाते है, बिना किसी आवश्यकता के दुःख को प्राप्त होते है - चाणक्य नीति
  11. दान गरीबी को ख़त्म करता है. अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है. विवेक अज्ञान को नष्ट करता है. जानकारी भय को समाप्त करती है - चाणक्य नीति
  12. वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई शत्रु नहीं. क्रोध के समान अग्नि नहीं. स्वरुप ज्ञान के समान कोई बोध नहीं - चाणक्य नीति
  13. व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है. अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है - चाणक्य नीति
  14. जिसने अपने स्वरुप को जान लिया उसके लिए स्वर्ग तो तिनके के समान है. एक पराक्रमी योद्धा अपने जीवन को तुच्छ मानता है. जिसने अपनी कामना को जीत लिया उसके लिए स्त्री भोग का विषय नहीं. उसके लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तुच्छ है जिसके मन में कोई आसक्ति नहीं - चाणक्य नीति
  15. जब आप सफ़र पर जाते हो तो विद्यार्जन ही आपका मित्र है. घर में पत्नी मित्र है. बीमार होने पर दवा मित्र है. अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है - चाणक्य नीति
  16. समुद्र में होने वाली वर्षा व्यर्थ है. जिसका पेट भरा हुआ है उसके लिए अन्न व्यर्थ है. पैसे वाले आदमी के लिए भेट वस्तु का कोई अर्थ नहीं. दिन के समय जलता दिया व्यर्थ है - चाणक्य नीति
  17. वर्षा के जल के समान कोई जल नहीं. खुदकी शक्ति के समान कोई शक्ति नहीं. नेत्र ज्योति के समान कोई प्रकाश नहीं. अन्न से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं - चाणक्य नीति
  18. निर्धन को धन की कामना. पशु को वाणी की कामना. लोगो को स्वर्ग की कामना. देव लोगो को मुक्ति की कामना - चाणक्य नीति
  19. सत्य की शक्ति ही इस दुनिया को धारण करती है. सत्य की शक्ति से ही सूर्य प्रकाशमान है, हवाए चलती है, सही में सब कुछ सत्य पर आश्रित है - चाणक्य नीति
  20. लक्ष्मी जो संपत्ति की देवता है, वह चंचला है. हमारी श्वास भी चंचला है. हम कितना समय जियेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं. हम कहा रहेंगे यह भी पक्का नहीं. कोई बात यहाँ पर पक्की है तो यह है की हमारा अर्जित पुण्य कितना है - चाणक्य नीति
  21. आदमियों में नाई सबसे धूर्त है. कौवा पक्षीयों में धूर्त है. लोमड़ी प्राणीयो में धूर्त है. औरतो में लम्पट औरत सबसे धूर्त है - चाणक्य नीति
  22. ये सब आपके पिता है...१. जिसने आपको जन्म दिया. २. जिसने आपका यज्ञोपवित संस्कार किया. ३. जिसने आपको पढाया. ४. जिसने आपको भोजन दिया. ५. जिसने आपको भयपूर्ण परिस्थितियों में बचाया - चाणक्य नीति
  23. इन सब को आपनी माता समझें .१. राजा की पत्नी २. गुरु की पत्नी ३. मित्र की पत्नी ४. पत्नी की माँ ५. आपकी माँ - चाणक्य नीति

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